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*🌷प्रेरक प्रसंग🌷*

*🌷प्रेरक प्रसंग🌷* 👇👇👇👇👇 बहुत समय पहले एक राजा था। वह अपनी न्यायप्रियता के कारण प्रजा में बहुत लोकप्रिय था। एक बार वह अपने दरबार में बैठा ही था कि अचात्रनक उसके दिमाग में एक सवाल उभरा। सवाल था कि मनुष्य का मरने के बाद क्या होता होगा? इस अज्ञात सवाल के उत्तर को पाने के लिए उस राजा ने अपने दरबार में सभी मंत्रियों आदि से मशवरा किया। सभी लोग राजा की इस जिज्ञासा भरी समस्या से चिंतित हो उठे। काफी देर सोचने विचारने के बाद राजा ने यह निर्णय लिया कि मेरे सारे राज्य में यह ढिंढोरा पिटवा दिया जाए कि जो आदमी कब्र में मुरदे के समान लेटकर रात भर कब्र में मरने के बाद होने वाली सभी क्रियाओं का हवाला देगा, उसे पांच सौ सोने की मोहरें भेंट दी जाएंगी। राजा के आदेशानुसार सारे राज्य में उक्त ढिंढोरा पिटवा दिया गया। अब समस्या आई कि अच्छा भला जीवित कौर व्यक्ति मरने को तैयार हो? आखिरकार सारे राज्य में एक ऐसा व्यक्ति इस काम को करने के लिए तैयार हो गया, जो इतना कंजूस था कि वह सुख से खाता पीता, सोता नहीं था। उसको राजा के पास पेश किया गया। राजा के आदेशानुसार उसके लिए बढ़िया फूलों से सुसज्जित अर्थी बनाई गई।

*💐भूतकाल का भविष्यफल*💐

*💐भूतकाल का भविष्यफल*💐 कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है| राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’ वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का|’’ राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा| हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’’ वृद्ध ने राजा की ओर देखा| राजा की आँखों में मायूसी थी| उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा| *यह कहानी आप सुनहरे पन्ने समूह में पढ़ रहे हैं ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए इस समूह से जुड़े रहे🤝* *https://chat.whatsapp.com/CVyQInDPutVCrdhOoutNiB* यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ| *जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस

इनाम**#इनाम

*#इनाम**#इनाम* इन बीस सालों में ये पचासवाँ घर है जिसे बनाने में उसका खून पसीना लगा है। इस ईमानदारी के खून पसीने से दो वक़्त की रोटी तो कमा पाता है पर अपने लिए एक घर ना बना सका। इस बीच जगह बदला उसके मालिक बदलें पर इस मजदूर की किस्मत नहीं। दस बाइ दस के कमरे में इसका परिवार रहता है और इन्हीं चारदीवारी में उनके सपने फड़फड़ाते हैं। बच्चों के सपनें जो उनके उम्र के साथ ही बड़े हो रहे हैं और बीवी के कई सपनों ने आत्महत्या कर ली और कई सपने हैं जो पनपते तो हैं पर तंगहाली उसका गला घोंट देती है। ये हर दिन अपने खून पसीने के साथ अपने सपनों को भी बेचता है ताकि अपने बीवी बच्चों के सपने खरीद सके। पर गरीबों के सपने बिकते बहुत सस्ते हैं। इतने में तो जिंदगी सिर्फ हकीकत दिखाती है। आज एक हकीकत इसके सामने आया और अपने मालिक से बगावत कर बैठा "साहब! ई गलत है, अइसन सीमेन्ट अउर सरिया सात मंजिला घर में नाही चली..ऐसा हम नाही होने देंगे" "बड़ा आया इंजीनियर की औलाद.. अभी निकाल बाहर करूँगा काम से..चल भाग" "साहेब घर में परिवार रहेंगे, बच्चे रहेंगे, कल कोई दुर्घटना हो जाई तो हम अपना के कभी माफ नाही

🙏🏽 *जन्म का रिश्ता हैं* *माता पिता पहले आपके हैं

*शुभ रात्रि* 🌹🌹🌹 *एक वृद्ध माँ रात को 11:30 बजे रसोई में बर्तन साफ कर रही है, घर में दो बहुएँ हैं, जो बर्तनों की आवाज से परेशान होकर अपने पतियों को सास को उल्हाना देने को कहती हैं* वो कहती है आपकी माँ को मना करो इतनी रात को बर्तन धोने के लिये हमारी नींद खराब होती है साथ ही सुबह 4 बजे उठकर फिर खट्टर पट्टर शुरू कर देती है सुबह 5 बजे पूजा आरती करके हमे सोने नही देती ना रात को ना ही सुबह जाओ सोच क्या रहे हो जाकर माँ को मना करो बड़ा बेटा खड़ा होता है और रसोई की तरफ जाता है रास्ते मे छोटे भाई के कमरे में से भी वो ही बाते सुनाई पड़ती जो उसके कमरे हो रही थी वो छोटे भाई के कमरे को खटखटा देता है छोटा भाई बाहर आता है *यह कहानी आप सुनहरे पन्ने समूह में पढ़ रहे हैं ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए इस समूह से जुड़े रहे🤝* *https://chat.whatsapp.com/CVyQInDPutVCrdhOoutNiB* दोनो भाई रसोई में जाते हैं, और माँ को बर्तन साफ करने में मदद करने लगते है , माँ मना करती पर वो नही मानते, बर्तन साफ हो जाने के बाद दोनों भाई माँ को बड़े प्यार से उसके कमरे में ले जाते है , तो देखते हैं पिताजी भी जागे हुए हैं *दोन

STORY

*शुभ प्रभात* एक बार दो बहुमंजिली इमारतों के बीच बंधी हुई एक तार पर लंबा सा बाँस पकड़े एक नट चल रहा था, उसने अपने कन्धे पर अपना बेटा बैठा रखा था। सैंकड़ों, हज़ारों लोग दम साधे देख रहे थे। सधे कदमों से, तेज हवा से जूझते हुए अपनी और अपने बेटे की ज़िंदगी दाँव पर लगा उस कलाकार ने दूरी पूरी कर ली भीड़ आह्लाद से उछल पड़ी, तालियाँ, सीटियाँ बजने लगी ।। *यह कहानी आप सुनहरे पन्ने समूह में पढ़ रहे हैं ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए इस समूह से जुड़े रहे🤝* *https://chat.whatsapp.com/GZa4hRKvOfUHKLpe7iUq3D* लोग उस कलाकार की फोटो खींच रहे थे, उसके साथ सेल्फी ले रहे थे। उससे हाथ मिला रहे थे और वो कलाकार माइक पर आया, भीड़ को बोला, "क्या आपको विश्वास है कि मैं यह दोबारा भी कर सकता हूँ" भीड़ चिल्लाई हाँ हाँ, तुम कर सकते हो। उसने पूछा, क्या आपको विश्वास है, भीड़ चिल्लाई हाँ पूरा विश्वास है, हम तो शर्त भी लगा सकते हैं कि तुम सफलतापूर्वक इसे दोहरा भी सकते हो। कलाकार बोला, पूरा पूरा विश्वास है ना भीड़ बोली, हाँ कलाकार बोला, ठीक है, कोई मुझे अपना बच्चा दे दे, मैं उसे अपने कंधे पर बैठा कर रस्सी पर चलूँगा।

*"चोर और राजा"

*हौसला अफजाई करना भी, किसी हकीम की दवाई से कम नहीं होती है, हर तकलीफ में, वह ताक़त की दवा जैसी होती हैं...* *"चोर और राजा"* 🙏🏻🚩🌹 👁❗👁 🌹🚩🙏🏻 किसी जमाने में एक चोर था। वह बडा ही चतुर था। लोगों का कहना था कि वह आदमी की आंखों का काजल तक उडा सकता था। एक दिन उस चोर ने सोचा कि जबतक वह राजधानी में नहीं जायगा और अपना करतब नहीं दिखायगी, तबतक चोरों के बीच उसकी धाक नहीं जमेगी। यह सोचकर वह राजधानी की ओर रवाना हुआ और वहां पहुंचकर उसने यह देखने के लिए नगर का चक्कर लगाया कि कहां क्या कर सकता है। उसने तय कि कि राजा के महल से अपना काम शुरू करेगा। राजा ने रातदिन महल की रखवाली के लिए बहुतसे सिपाही तैनात कर रखे थे। बिना पकडे गये परिन्दा भी महल में नहीं घुस सकता था। महल में एक बहुत बडी घडीं लगी थी, जो दिन रात का समय बताने के लिए घंटे बजाती रहती थी। चोर ने लोहे की कुछ कीलें इकठटी कीं ओर जब रात को घडी ने बारह बजाये तो घंटे की हर आवाज के साथ वह महल की दीवार में एकएक कील ठोकता गया। इसतरह बिना शोर किये उसने दीवार में बारह कीलें लगा दीं, फिर उन्हें पकड पकडकर वह ऊपर चढ गया और महल में

एक कंजूस की कहानी...

*🌹💐🥀🌸रिश्ता बहुत गहरा हो या न हो* *लेकिन* *भरोसा बहुत गहरा होना चाहिये.* *गुरु वही श्रेष्ठ होता है जिसकी प्रेरणा से* *किसी का चरित्र बदल जाये* *और..* *मित्र वही श्रेष्ठ होता है* *जिसकी संगत से रंगत बदल जाये ।*🌹🌸🌺💐 *सुप्रभात* एक कंजूस की कहानी... एक नगर के बहुत बड़े सेठ का आज देंहात हो गया, उसका एक बेटा था, जो सोचने लगा, कौन आयेंगा मेरे पिताजी की मिट्टी में, जीवन भर तो इन्होनें कोई पुण्य, कोई दान धर्म नही किया बस पैंसे के पीछे भागते रहें, सब लोग कहते है ये तो कंजूसों के भी कंजूस थे, फिर कौन इनकी अंतिम यात्रा में शामिल होगा,, खैर जैसा तैसा कर, रिश्तेदार, कुछ मित्र मिट्टी में शामिल हुये, पर वहाँ भी वही बात, सब एक दूसरे से कहने लगे बड़ा ही कंजूस शख्स था, कभी किसी की मदद नही की, हर वक्त बस पैंसा, पैंसा, यहाँ तक की घरवालों, रिश्तेदारों, तक को भी पैंसे का एक_एक हिसाब ले लेता था, कभी कालोनी के किसी भी कार्यकम्र में एक रूपयें नही दिया, हर वक्त